Meena samaj in INDIA
मीणा समाज का इतिहास
मीना जाति मुख्यतया भारत के राजस्थान की निवासी होकर अब राजस्थान; मध्य प्रदेश; महारास्ट; दिल्ली आदि राज्यों में निवास करने वाली एक जनजाति है।
इन्हे वैदिक युग के मत्स्य गणराज्य के मत्स्य जनजाति का वंशज कहा जाता है, जो कि छठी शताब्दी बी॰सी॰ मे पल्लवित हुये।
[1] मीणा भारत कि भील अनुसूचित जन जाति वर्ग से संबन्धित है !
[2] परंतु मध्य प्रदेश मे मीणा (क्रम -३२) विदिशा जिले कि सिरोंज व लटैरी तहसील मे अनुसूचित जन जाति मे सम्मिलित थी जिसे शडयंत्र पूर्वक बगेर राज्य सरकार की अनुशंसा के दिनांक ८/१/२००३ को हटा दिया है जबकि शेष मध्य प्रदेश मे मीना अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत क्रमांक २१ पर आते है।
[3] म प्र के मीना आदिवासी की सूचि मे शामिल होने के लिये प्रयासरत हें इसके लिये 6/10/1996; 4/2/2001 को राजधानी भोपाल मे प्रांतीय सम्मेलन व दिनांक 26/6/2003; 17/1/2007 प्रांतीय प्रतिनिधि सम्मेलन किये तथा दिनांक 7/11/2011 को प्रथम प्रांतीय महिला सम्मेलन आयोजित किया गया! दिनांक 10/10/2015 को भोपाल मे श्री लालाराम मीना (पूर्व न्यायाधीश) प्रदेशाध्यक्ष म प्र मीना समाज सेवा संगठन के नेत्रित्व मे विशाल प्रतिनिधि सम्मेलन कर मुख्यमंत्री म प्र शासन से मांग करने पर मुख्यमंत्री द्वारा संपूर्ण प्रदेश मे मीना जाति को जनजाति की सूचि मे शामिल कराने की अनुशंसा भेजने व मीना कर्मचारियो के विरु्द्व की जा रही कार्यवाही रोकने व शासन मे मीनाओ को प्रतिनिधित्व देने का आसवासन तो दिया हे। म प्र मीना समाज सेवा संगठन द्वारा सुर्प्रीम कोर्ट से भी 8/10/2015 को अपने पक्ष मे कुछ सहायता प्राप्त की हे!
[4] । वेद पुराणों के अनुसार मीणा जाति मत्स्य(मीन) भगवान की वंशज है। पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ला तृतीया को कृतमाला नदी के जल से मत्स्य भगवान प्रकट हुए थे। इस दिन को मीणा समाज में जहाँ एक ओर मत्स्य जयन्ती के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर इसी दिन संम्पूर्ण राजस्थान सहित अन्य प्रदेशो में गणगौर का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।
मीणा जाति का गणचिह्न मीन (मछली) था। मछली को संस्कृत में मत्स्य कहा जाता है। प्राचीनकाल में मीणा जाति के राजाओं के हाथ में वज्र तथा ध्वजाओं में मत्स्य का चिह्न अंकित होता था, इसी कारण से प्राचीनकाल में मीणा जाति को मत्स्य माना गया।
प्राचीन ग्रंथों में मत्स्य जनपद का स्पष्ट उल्लेख है जिसकी राजधानी विराट नगर थी, जो अब जयपुर वैराठ है। इस मस्त्य जनपद में अलवर,भरतपुर एवं जयपुर के आस-पास का क्षेत्र शामिल था। आज भी मीणा लोग इसी क्षेत्र में अधिक संख्या में रहते हैं। मीणा जाति के भाटों (जागा) के अनुसार मीणा जाति में 12 पाल, 32 तड़ एवं 5248 गौत्र हैं। मध्य प्रदेश के भी लगभग 26 ज़िलों मे मीणा समाज के 35 लाख लोग निवास करते है।
मूलतः मीना एक सत्ताधारी जाति थे और मत्स्य, यानी राजस्थान या मत्स्य संघ के शासक थे, लेकिन मीना राज्यों का पतन सडयंत्रो के साथ आत्मघात से शुरू हुआ !
ब्रिटिश सरकार ने मीनाओ को "आपराधिक जाति" मे डाल दिया था।